नमस्कार दोस्तों आपका फिर एक बार हमारी इस साईट पर आपका स्वागत है. दोस्तों आज हम एक एसे महान वेक्ती के बारे में बात करगे जिन्नोने अपने जीवन में सबसे जादा महत्त्व योग और आद्यात्म के लिए समर्पित किया है Life story of Shri Yogananda.
Life story of Shri Yogananda :
श्री योगनन्दजी का जन्म 5 जनवरी १८९३ में गोरखपुर उत्तरप्रदेश में हुआ था और उनका जन्म एक भक्त परिवार में हुआ था और उनके परिवार में सभी लोग ग्यान और आद्यात्म का प्रसार करते थे उनका परिवार भारत का एक भक्त परिवार था. इन्नी से प्रेरणा लेकर योगानन्दजी ने भी ये निर्णय लिया वे भी अपने परिवार की तरह योग और आद्यात्म का प्रसार करेगे और इसी के लिए अपना जीवन समर्पित करेगे.

श्री योगान्दजी के माताजी का नाम प्रभा घोष था और श्री योगनन्दजी के पिताजी का नाम श्री भगवत चरण घोष था. श्री योगनन्दजी के माता पिता श्री श्री लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे और अपने माताजी पिताजी की तरह ही श्री योगनन्दजी भी श्री श्री लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे. श्री योगनन्द महाराज ने अपने बचपन में ही योग और आद्यात्म का रास्ता अपना लिया था वे भी अपने माताजी पिताजी की तरह भारत में और भारत के बहार योगा का ग्यान और और ग्यान की शक्ति का प्रसार करना चाहते थे. श्री योगनन्दजी ये एक अच्छे शिष्य थे और भविष्य के होने वाले एक अच्छे और उच्छ योग गुरु.
उन्ने बचपन से ही ध्यान करना अच्छा लगता था और वे अपने माताजी पिताजी के सात ध्यान करने बैठते थे. बचपन से ही वे ध्यान को अपने माताजी पिताजी के जरिये जानते थे. श्री योगानन्द महाराज बचपन से ही आद्यात्म के रास्ते पर चल पड़े थे. श्री योगानन्दजी अपने माताजी पिताजी और गुरु के तरफ भगवान की तरह समर्पित थे. वे हमेशा अपने ध्यान का प्रसार दुसरो का जीवन सुदारने के लिए और उनके जीवन में बदल करने के लिए करते थे.
श्री योगानंद अपने गुरु के बताए रस्ते पर चलते थे
श्री योगानन्दजी ने अपने भारत के सात सात अन्य देशो में भी अपने ध्यान प्रचार प्रसार किया उन्नोने अपने छोटीसी उमर में ही अपने गुरु श्री श्री लाहिड़ी महाशय के बताये रास्ते पर चल कर श्री योगानन्दजी ने ऐसा मुकाम हासिल किया की अब वह हमारे बिच नही है फिर भी आज कल और आने वाले समय में भी हम उन्ने यद् करेगे और उनके बताये रास्ते पर चल कर अपना जीवन सफल बनायेगे. गुरु से बड़ा कोई नही होता गुरु और माता पिता ही हमें इस नक रूपी संसार से बहार निकलने का रास्त दिखाते है पर श्री योगानन्दजी अपने गुरु के बताये रास्ते पर चल कर अमर हो गये.
योगानन्दजी को 8 साल की उमर में ही एक चमत्कार अपने गुरु श्री श्री लाहिड़ी महाशय के फोटो के माध्यम से हुआ था श्री योगानन्दजी को वह फोटो के माध्यम से स्वस्तलाभ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था उस चमत्कार के बाद श्री योगानन्दजी का प्रेम, श्रधा, और विशवास बाड गया था. अपने गुरु श्री श्री लाहिड़ी महाशय के सात जब बंगाल में रहते थे तब हुन्ने हैजा हो गया था और डॉक्टर कुछ नही कर पा रहे थे उन्नोने अपने गुरूजी से प्राथना की और उनकी फोटो की और देखा तभी उनके सात यह चमत्कार का एसास हुआ.
गुरु की आशीर्वाद की शक्ति अदभुत है इशी लिए बच्चो को भी पड़ाया जाता है की जीवन में गुरुजी, माँ बाप से सगा कोई नही और इस दुनिया में हमें सही रास्ता यही दिखाते है बस हमे उनपर विशवास करना चाहिए यही शिक हमें श्री योगानन्दजी देते है. उनके जीवन में उनके माताजी पिताजी का स्थान सबसे ऊपर था और श्री योगानन्दजी ने अपने जीवन में वो सारी बात उतारी जो उनके माताजी पिताजी ने उन्ने शिकाई थी. क्योकि गुरु के द्रशर्न तो उन्नोने फोटो में ही किये थे.
श्री योगानंदजी ने पहिले मुलाखत : Life story of Shri Yogananda
कुछ साल बाद वह अपनी पढाई पुरी करने के बाद स्वामी रुक्तेश्वर गीरी जी से मिले थे. श्री योगानंदजी ने पहिले मुलाखत के बारे में गिरिजी से कहाथा के यह हमारी मुलाखत एक पुर्नर्जन्म के रुप में हुई. उनका मानना था के वह दोनों अपनी मुलाखात किसी जन्म से चली आरही है लेकिन आज पूरी हुई वह यह कहने लगे योगानंदजी ने भारत के सात ही विदोशो में भी अपने शिष्य बनाये है. योगानंदजी ये अपने जीवन में किसीको भी बड़ा या छोड़ा नही समज ते थे वह सबको अपने बच्चो के रूप में देखते थे और इसी लिए योगानंदजी ने १९१७ लडको के लिए स्कूल के स्थापना की जिसका नाम कैसे – टू – लाइफ यह रखा गया था.
योगानंदजी ने यह स्कूल की सुरवात के सात अपने जीवन का लक्ष पूरा करने का कार्य भी प्रारंभ कर लिया. इस स्कूल के बाद योगानंदजी ने और भी बहुत स्कूल खोले और वे बच्चो को आधुनिक ग्यान, पोरानिक ग्यान की और लेकर चल पड़े इतना ही नही उन्नोने विधियों को योग प्रशिशन और आध्यात्म के सात जोड़ दिया. योगानंदजी का कहना था शिक्षा के सात योग आध्यात्म का ग्यान भी मिलना चाहिए इस लिए योगानंदजी ने भारत के सात सात विदेशो में भी अपने ग्यान का प्रसार प्रचार किया.
इस लिए आज भारत के बहार भी योगानंदजी के शिष्य अपने जीवन को सही दिशा देने के लिए आध्यात्मक योग क्रिया के रास्ते पर चल पड़े है. क्रिया योग भगवान का दर्शन करनेका और अपने जीवन को अच्छा बनाने का एक रास्ता है जो योगानंदजी ने हमें बताया है योगानंदजी ने कितने लोगो का अंधकार दूर कर के उनको उज्वल भविष्य दिखाया है.
Life story of Shri Yogananda :
उनके समाधी उनकी जगा कोई नही ले सकता लेकिन यह परंपरा चलाने के लिए योगानंदजी के शिष्यों में से एक यह ग्यान और शिक्षा आगे बड़ा रहा है और चला रहा है योगानंदजी महासमाधी मार्च १९५२ में ली थी योगानंदजी अपने महासमधी के कुछ समय पहिले ही भाषन दिया था और उसके बाद कैलिफोनिया (अमेरिका) शारीर त्याग कर योगानंदजी भगवान में लीन हो गये थे. ये श्री योगनान्दजी की जीवन कथा थी और हमें इन से प्रेरणा लेनी चाहिए दोस्तों अगर आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लीगी हो तो हमें कमेंट कर के जरुर बताये और अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूले.
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